कई बार लगता है दुनिया सिर्फ मतलबपरस्तों के लिए ही है ,अपना उल्लू सीधा करो और चलते बनो .हर कहीं ... हर कोई आपको काटने की फिराक में है कि किस तरह आपसे ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाया जा सके.... .जब ज़रूरत हुई अपना मतलब निकल लिया,जब ज़रूरत हुई आपसे आँखे फेर ली .जिन जिन लोगो का मैंने बुरे वक़्त में अच्छा किया वही आज बुरे वक़्त में अपनी आँखे दिखने में भी नहीं हिचकिचा रहे है .कहते है कि रात सबसे ज्यादा काली तब होती है ,जब सुबह कि पहली किरण पड़ने ही वाली हो, मगर यहाँ तो पूरी रात ही गहरी काली है .हां इस गहरी काली अमावास की रात में कुछ ऐसे सितारे भी झिलमिला रहे है जिनके उजाले में मुझे कुछ दिलासा दे रहे है.और मेरा सच्चाई पर भरोसा और बढ़ा देते है .यक़ीनन इन मतलब परस्तो की दुनिया में मैं अपना इमां नहीं बेचूंगी .लडूंगी अपने मुकद्दर से,और उसे मजबूर करुँगी की मेरी तकदीर मेरे हक में लिखे. मिटा डाले वो सारे काले हर्फ़ मुफलिसी के , मिटा दे वो दाग सारे मेरी तौहीन के और ले आये बेइंतहा खुशियाँ जहाँ की .कोई साथ नहीं तो क्या .. मेरे हौसले तो है ..और हैं भी बेहद बुलंद ..इन्ही के सहारे मैं खुद को खड़ा करुँगी और लिखूंगी एक नई इबारत . सब लोग आज मेरी पीठ में खंज़र भोंकने को तैयार है तो भी कई ग़म नहीं , कोई रहनुमा नहीं है तो भी कई ग़म नहीं ... इसी हौसले और इमां के भरोसे मैं ज़िन्दगी की बुलंदियों को हासिल करुँगी.क्योकि मैं ये बात जानती हूँ कि मैं ये दौर भी गुज़र जाएगा .. बस रह जाएँगे ,ज़िन्दगी से हासिल किये कुछ सबक.......
मगर हाँ.................. इस दर्द में भी इक लज्ज़त है .............