मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

पिछले बरस की यादें

ज़िन्दगी के  में गुज़र जाते हैं जो मक़ाम , वो फिर नहीं आते ...वो फिर नहीं आते।
                            2012  ने बहुत सदमे दिए है. कई कलाकार , जो हमारी ज़िन्दगी पर गहरी छाप रखते थे , एक -एक कर  के कुदरत ने हमसे उन्हें  छीन लिया .  वो चले गए , निश्चित ही बहुत तकलीफ देह बात है, पर उससे ज्यादा गम इस बात का  है कि जिस रफ़्तार से वो गए है, उस रफ़्तार से उनकी जगह को भरने कोई कलाकार नहीं आया। कहते है कि  समंदर से अगर पानी निकालो तो आस पास का पानी उसकी जगह लेने चला आता है। मगर बॉलीवुड के अथाह समंदर में से एक बूँद भी ऐसी नहीं वो दारा सिंह या राजेश खन्ना की  जगह ले सके। 
क्या ये समझ लिया जाए कि आज की कलाकार पीढ़ी बंजर हो गयी है,सिर्फ रीमेक गाने गा कर या फिल्मो पुनर्प्रस्तुतीकरण  ही उनकी उपलब्धि है। कहीं  कोई रचनात्मकता नहीं , कहीं कोई सृजन  नहीं , क्या यही ।

ना भूली ना बिसरी

एक अरसे  बाद इस ब्लॉग कि सुध ली है मैंने . बात तो बड़ी बेहूदा होगी  अगर मैं ये  कहूं कि समय ही नहीं निकल  पाई . इसका अर्थ तो ये होगा कि पिछले एक डेढ़ साल से मैं खाती पीती और सोती रही हूँ , एक यन्त्र  की  भांति काम करती रही हूँ , बिना किसी सोच के साथ , भावना-विहीन , विचार शून्य . मगर ये सच नहीं है . सच तो ये है कि इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ मेरी लापरवाही थी . इंसान आक्षेपों  से बचने के लिए तरह तरह के बहाने बनता है .मगर  ये ब्लॉग मेरे दिल कि आवाज़ है और दिल कि आवाज़ को मैं नहीं झुठला सकती हूँ .